खेल-खेल में टेक्नोलॉजी और विज्ञान सीखना

केवल परीक्षाओं के लिए सीखने से कहीं बेहतर है खेल-खेल में सीखना. सीखने की ये विधि कलप्ना और रचनात्मक सोच को विकसित करती है. कल्पना-शक्ति और रचनात्मक सोच २१वीं सदी में सफलता के लिए अनिवार्य जीवनकौशल हैं. सीखने की ये विधि ध्यान में रखते हुए Timeless Lifeskills Foundation में इलेक्ट्रॉनिक्स सीखने का एक पाठ्यक्रम रचा है. अलग-अलग ऑनलाइन संसाधनों का विश्लेषण कर हमनें कुछ प्रयोग और प्रोजेक्ट्स का चयन किया है जिनको करने से विद्यार्थियों…

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इस जीवन में कुछ अविश्वसनीय कर डालो

कुछ साल पहले मेरे बेटे को अपने स्कूल से एक दस्तावेज़ मिला जिसमे विषयों की एक सूची थी. जी.सी.एस.सी. परीक्षा (class 10 Board exam के बराबर) के लिए उसे इस सूची से कुछ विषय चुनने थे. मैंने उससे पूछा कि दिए हुए विकल्पों में किस आधार या मानकों पर वह निर्धारित करेगा कि कौनसा विषय ले? पलक झपकते ही उसने जवाब दिया, "जो विषय मुझे पसंद हैं और जिन विषयों में मैं अच्छा हूँ." उसके…

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अपना जूनून पहचानो. पर कैसे?

ज़िन्दगी का भरपूर आनंद लेने के लिए ज़रूरी है अपने जूनून को पहचानना और उस जूनून को जीना. अलग शब्दों में कहा जाये तो आनंदमय ज़िन्दगी जीने के लिए जोश और उत्साह के साथ-साथ एक दिशा होना भी आवश्यक है. गणितग्य टेरेंस ताओ मिसाल हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपने जूनून को बहुत जल्द पहचाना और पूरे जोश के साथ उसी दिशा में चलता रहा. टेरेंस जब दो साल का था तो उसने टेलीविज़न…

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हमारे जीवन के तीन वाल्व

अपनी किताब 'Surely You are Joking Mr Feynman' में भौतिक विज्ञानी, और नोबेल पुरस्कार विजेता, रिचर्ड फ़ाईनमेन, यह कहानी सुनाते हैं: जब वे लगभग 12 वर्ष के थे उन्होंने रेडियो ठीक करने शुरू किये. एक बार उन्हें एक ऐसा रेडियो ठीक करने को कहा गया जो ऑन होते ही कुछ मिनटों तक कर्कश शोर करता और उसके बाद ही उसमें मधुर संगीत बजता. शुरू का कर्कश शोर रेडियो सुनने का सारा मज़ा किरकिरा कर देता.…

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तीन बुनियादी जीवन कौशल

अधिकतर व्यवसाय और रोज़गार तीन चीज़ों पर निर्भर करते हैं - बाहुबल, मस्तिष्क बल, या हाथ का हुनर. औद्योगिक क्रांति के बाद मशीनो ने मनुष्य के बाहुबल पर निर्भर रोजगार को प्रतिस्थापित करा और आज नैनो-मशीनें हाथ के हुनर वाले व्यवसायों को, और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस मनुष्य के बुद्धिबल पर बने उद्यम को प्रतिस्थापित कर रहीं हैं. आज के छात्रों को कल व्यवसाय या रोज़गार के लिए अन्य मानवों से तो मुकाबला करना ही पड़ेगा, उनको…

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ब्लॉकचैन क्या है?

मोबाइल फ़ोन से आप अपने दोस्तों से सीधे बात कर सकते हैं. पर अगर इसी मोबाइल फ़ोन पर आपको ऑनलाइन कुछ खरीदना हो तो आपको एक बिचौलिये की ज़रुरत पड़ती है जो विक्रेता को गारंटी दे पाए की आपने पैसे दे दिए हैं. पर क्या ये मुमकिन है की एक क्रेता और विक्रेता आपस में सीधे समझौता कर लें, बिना किसी बिचौलिये की सहायता के? ब्लॉकचैन नामक एक नयी टेक्नोलॉजी ऐसा मुमकिन कर रही है.…

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21वीं सदी में समृद्धि और सुःख के लिय आवश्यक जीवनकौशल

अमरीकी प्रेजिडेंट Bill Clinton के शिक्षा सचिव, Richard Riley ने ठीक फ़रमाया था, “आज हम शिक्षार्थियों को ऐसे रोज़गार के लिए तैयार कर रहे हैं जो अभी विद्यमान नहीं हैं, ऐसी उद्योग कला के साथ जिसका अभी आविष्कार भी नहीं हुआ है, ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए जो हम अभी जानते नहीं की समस्याएं हैं.” लेखक Tom Friedman ने सही टिप्पणी की है की, “नौकरी चाहिए? तो उसका आविष्कार खुद करो.” निश्चित रूप से…

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मनमौजी रोज़गार (भाग-2)

जो ऑनलाइन प्लेटफार्म के उदाहरण मैंने अबतक दिये हैं वो 'श्रम-निर्भर' (labour-dependent) उदाहरण हैं. आज 'पूँजी-निर्भर' (capital-dependent) ऑनलाइन मार्किट भी उभर रहीं हैं. अगर सौभाग्य-वश आपके पास एक मकान है, जिसमे एक कमरा खाली रहता है, या आपके पास सुन्दर गाँव में एक पुश्तैनी हवेली है जो अधिकतर खाली रहती है, तो आप इनको AIRBNB में पर्यटकों को किराये में दे सकते हैं. अगर आप उद्यमी हैं तो आप एक नयी ऑनलाइन मार्किट शुरू करने…

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मनमौजी रोज़गार (भाग-1)

आज नौकरी की परिभाषा और कार्य का स्वरूप बदल रहा है. एक नयी वैश्विक अर्थव्यवस्था उभर रही है जिसको नाम दिया जा रहा है 'गिग' इकॉनमी - फ्रीलान्स, प्रोजेक्ट आधारित काम करने की विधि. गिग इकॉनमी में आपकी सफलता निर्भर है आपकी विशिष्ठ निपुणता पर. यह हो सकती है आपकी असाधारण प्रतिभा, गहरा अनुभव, विशेषज्ञ ज्ञान या कौशल. 20वीं सदी के पहले कुछ दशकों में, भारत के एक युवा महानगर निवासी को यदि सरकारी नौकरी…

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चौथी औद्योगिक क्रान्ति और नौकरियों का बदलता स्वरूप (भाग-2)

जैसे चौथी औद्योगिक क्रांति वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक नया आकार दे रही है, रोबोट और कृत्रिम बुद्धिमता वाली मशीनें नौकरियों को ख़त्म नहीं कर रहीं परन्तु रोज़गार का स्वरूप ज़रूर बदल रहीं हैं. आने वाले समय में कम-कौशल, कम-वेतन और उच्च-कौशल, उच्च-वेतन वाली नौकरियां तो अधिकतर बनी रहेंगी, लेकिन मौजूदा मध्य-स्तरीय नौकरियों के गायब हो जाने की बहुत सम्भावना है. अर्थशास्त्री इसको ‘job polarisation’ यानी 'नौकरियों का ध्रुवीकरण' कहते हैं, जब केवल दो सिरों में…

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चौथी औद्योगिक क्रान्ति और नौकरियों का बदलता स्वरूप (भाग-1)

हमेशा से हम मनुष्यों का ऐसा प्रयास रहा है की हम अपने बाहुबल (muscle power) को बढ़ायें ताकी हम ज़्यादा और भारी काम करने के सक्षम हों. अपना बाहुबल बढ़ाने के लिए हम मनुष्यों ने सबसे पहले पत्थर और धातु के सरल औज़ार बनाये, फिर हमनें जानवरों को पालतू बना उनकी शक्ति का इस्तेमाल करना सीखा, जैसे सामान ढोने के लिए बैल-गाड़ी या घोड़ा-गाड़ी का प्रयोग. फिर भाप की शक्ति का इस्तेमाल कर हमनें बहुत…

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शिक्षा – GPS या कम्पास?

हमारी औपचारिक शिक्षा एक GPS की तरह काम करती है जो शिक्षार्थी को एक बँधी-बँधाई दुनिया में कदम-कदम पर रास्ता बताती हुई चलती है. 19वीं और 20वीं सदी में GPS वाली शिक्षा ठीक-ठाक काम कर गई. उस समय आप किसी एक क्षेत्र में ज्ञान का भंडार जमा कर लेते थे या कहिए कि डिग्रियों का थाक लगा लेते थे और चूँकि उन दिनों अधिकतर क्षेत्रों में ज्ञान हासिल करने की दर बहुत कम थी, इसलिए…

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सीखने की ललक और आत्म-निर्देशित शिक्षा

SDSN मुंशीगंज ग्रामीण विद्यालय में Timeless Lifeskills की कार्यशाला "क्या मानव शरीर एक सुचालक है?" "क्या पत्तियाँ सुचालक हैं या कुचालक?" एक वैज्ञानिक की तरह सोचो, प्रयोग करो, और पता लगा लो! SDSN स्कूल के विद्यार्थियों ने ठीक यही किया, जब जुलाई में उन्होंने लंदन आधारित गैर-सरकारी संगठन, कालातीत जीवनकौशल (Timeless Lifeskills) के संस्थापक, अतुल पन्त, द्वारा आयोजित २१-वीं सदी के जीवनकौशल सीखने की कार्यशाला में भाग लिया. विद्यार्थियों ने टेबलेट में भिन्न प्रकार की…

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