तीन बुनियादी जीवन कौशल

अधिकतर व्यवसाय और रोज़गार तीन चीज़ों पर निर्भर करते हैं – बाहुबल, मस्तिष्क बल, या हाथ का हुनर.

औद्योगिक क्रांति के बाद मशीनो ने मनुष्य के बाहुबल पर निर्भर रोजगार को प्रतिस्थापित करा और आज नैनो-मशीनें हाथ के हुनर वाले व्यवसायों को, और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस मनुष्य के बुद्धिबल पर बने उद्यम को प्रतिस्थापित कर रहीं हैं.

आज के छात्रों को कल व्यवसाय या रोज़गार के लिए अन्य मानवों से तो मुकाबला करना ही पड़ेगा, उनको बुद्धिमान मशीनों से भी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी. ऐसे में सफलता के लिए आज युवाओं को कुछ अलग जीवन कौशल में निपुणता की आवश्यकता है.

जैसे जिज्ञासा, स्वतन्त्र, गहरी और रचनात्मक सोच, अच्छे प्रष्न पूछने की क्षमता, प्रतिरूप अभिज्ञान (pattern recognition), भिन्न विषयों को जोड़ समस्याओं को एक नए दृष्टिकोण से देख पाने का हुनर (ability to connect the dots), और जटिल समस्यायों के नवीन समाधान ढूढ़ने की क्षमता.

21वीं सदी के इन जीवन कौशल के साथ-साथ युवाओं को तीन बुनियादी जीवनकौशल तो सीखने ही पड़ेंगे:

सीखने की ललक (Yearning to Learn)

आजीवन सव-प्रेरित, आत्म-निर्देशित शिक्षार्थी बने रहना (Learning to Learn)

आत्म जागरूकता (Learning to Be)

ये तीन कौशल लाल, हरे और नीले प्राथमिक रंगों की तरह हैं और जैसे इन तीन प्राथमिक रंगों को मिला कर कोई भी रंग बनाया जा सकता है, इन तीन कौशल में निपुण बन एक व्यक्ति अनगिनत और कौशल सीख सकता है.

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