जो ऑनलाइन प्लेटफार्म के उदाहरण मैंने अबतक दिये हैं वो ‘श्रम-निर्भर’ (labour-dependent) उदाहरण हैं. आज ‘पूँजी-निर्भर’ (capital-dependent) ऑनलाइन मार्किट भी उभर रहीं हैं. अगर सौभाग्य-वश आपके पास एक मकान है, जिसमे एक कमरा खाली रहता है, या आपके पास सुन्दर गाँव में एक पुश्तैनी हवेली है जो अधिकतर खाली रहती है, तो आप इनको AIRBNB में पर्यटकों को किराये में दे सकते हैं.
अगर आप उद्यमी हैं तो आप एक नयी ऑनलाइन मार्किट शुरू करने की भी सोच सकते हैं. किसी आला उत्पाद या अनूठी सेवा, जिसकी मांग तो है पर खंडित है, आप इस मांग के खरीदारों और विक्रेताओं को संग्रहित कर सकते हैं. जैसे ट्यूशन देने और लेने वालों का ऑनलाइन प्लेटफार्म, जहाँ ट्यूशन आमने-सामने या ऑनलाइन, दिया जा सकता हो, या किसी ख़ास संगीतप्रथा के संगीतकारों और संगीत प्रेमियों का प्लेटफार्म, या घर के छोटे-मोटे काम की मांग और उसको पूरा करने के सुयोग्य कारीगरों का तालमेल बैठानेवाला प्लेटफार्म.
अगर आप किसी ख़ास सेवा की कल्पना कर सकते हैं जो ऑनलाइन दी जा सकती है और आप थोड़ा जोखिम या risk लेने से नहीं घबराते तो आज आप एक नये ऑनलाइन प्लेटफार्म का सृजन सोच सकते हैं. एक विशिष्ठ अर्थशास्त्री ने ठीक कहा है, “risk takers are profit makers” – जो थोड़ा जोखिम उठाते हैं, मुनाफा उन्हीं को होता है.
अधिकतर लोगों की सोच रहती है कि वह ज़िन्दगी में पहले पैसा कमायेंगे और फिर वो काम करेंगे जिसको करने में उनको आनंद आता है. उभरती गिग इकॉनमी आपको मौका दे रही है कि आप आनंददायक काम भी करें और पैसा भी कमायें. अगर आप में हुनर है तो यह अर्थव्यवस्था आपको एक लचीली ज़िन्दगी जीने का अवसर भी देती है. कड़ी मेहनत से काम, और फिर कुछ दिन आराम – जिसमे आप भ्रमण पर निकल सकते हैं, या कोई हॉबी विकसित कर सकते हैं, या परिवार के साथ ज़्यादा वक्त गुज़ार सकते हैं. इसीलिए मेँने इस लेख का शीर्षक रखा है, मनमौजी रोज़गार!
लचीलेपन और स्वायत्तता के साथ-साथ गिग इकॉनमी आपको रचनात्मक अभिव्यक्ति का मौका भी देती है. आप कोई बड़ा उद्देश्य भी साध सकते हैं जैसे किसी लुप्त होती कला की मांग को फिर जीवित कर उन कलाकारों को एक नयी ज़िन्दगी देना. जिस काम को करने में आपको मज़ा आता है, उस काम में आप उस्तादी भी हासिल कर सकते हैं.
आंतरिक प्रेरणा के तीन मुख्य स्रोत हैं – स्वायत्तता, उस्तादी और महान उद्देश्य को पूरा करने का अथक प्रयास. गिग इकॉनमी आपको संभावना देती है कि आप ये तीनो लक्ष्य प्राप्त कर सार्थक और आनंदमय जीवन जीयें.
पर ऐसा नहीं कि गिग इकॉनमी के कोई नकारात्मक पक्ष नहीं हैं. इसमें कोई बंधा वेतन नहीं है, एक महीने से दूसरे महीने आप क्या कमायेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है, आमदनी में उतार-चढ़ाव की वजह से आपको भविष्य सम्बंधित योजनायें बनाने में दिक्कत आ सकती है, बैंक जैसी संस्थायें जिनसे कर्जा लेने के लिए आपको वेतन-प्रमाण देना पड़ता है वहां आपको मुश्किल हो सकती है और आपको पेंशन या प्रोविडेंट फण्ड की सुविधा नहीं मिलेगी. आखिर मनमौजी होने की कुछ तो कीमत अदा करनी ही पड़ेगी!
आपको सोचना पड़ेगा की आप कितने प्रतिभाशाली हैं, आपको अपनी निपुणता पर कितना विश्वास है, आपकी आर्थिक स्थिति क्या है, आपकी जोखिम-क्षमता कितनी है, आप ज़िन्दगी से चाहते क्या हैं, सफल सार्थक जीवन की आपकी परिभाषा क्या है…
आपकी जो भी सोच है आज आप आरक्षणपूर्ण सरकारी नौकरी कर सकते हैं, या किसी प्राइवेट कंपनी के मुलाजिम बन सकते हैं, या एक मल्टीनेशनल कंपनी में रोजगार ढूंढ सकते है, या उभरती गिग इकॉनमी में मनमौजी काम कर सकते हैं, या मुमकिन हो तो शायद आप इन भिन्न विकल्पों का मिश्रण पसंद करें – जैसे तीन दिन प्राइवेट कंपनी में नौकरी और तीन दिन गिग इकॉनमी में मनमौजी काम.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको इन सब अवसरों की जानकारी हो ताकि आप एक सूचित निर्णय ले पायें. इस लेख का उद्देश्य आपको यह जानकारी देना ही है.